Thursday, May 3, 2018

तेरा या तेराह

एक समय की बात है . नानक को उनके पिता ने, बड़ी कोशिशें कीं--कुछ काम में लग जाए, कुछ धंधा कर ले। स्वभावतः प्रत्येक पिता चाहता है कि बेटा कुछ करे, कमाए। किसी ने सलाह दी कि इसको कुछ रुपए दे दो, खरीदने भेजो; कुछ सामान खरीद लाए, कुछ बेच लाए, ले जाए, व्यापार करे। कुछ लगेगा काम में तो ठीक, नहीं तो यह खराब हो जाएगा। यह धीरे-धीरे साधुओं के सत्संग में खराब हुआ जा रहा है।

कुछ रुपए दे कर उन्हें भेजा। जाते वक्त कहा कि देख, लाभ का खयाल रखना क्योंकि लाभ के बिना धंधे में कोई अर्थ नहीं है। नानक ने कहा " ठीक, खयाल रखूंगा।"वे दूसरे दिन घर वापिस आ गए। खाली चले आ रहे थे और बड़े प्रसन्न थे। पिता ने पूछा " क्या हुआ, बड़ा प्रसन्न दिखायी पड़ता है! इत्ती जल्दी भी आ गया! और कुछ सामान इत्यादि कहां है? "

उन्होंने कहा  "सामान छोड़ो , लाभ कमा लाया हूं। कंबल खरीद कर ला रहे थे, राह में साधु मिल गए। वे सब नंगे बैठे थे। सर्दी के दिन थे, सबको बांट दिए। आपने कहा था न कि लाभ. . .!'

पिता ने सिर ठोंक लिया होगा, कि इस लाभ के लिए थोड़े ही कहा था। कहां के लफंगों को, फिजूल के आदमियों को कंबल बांट आया! ऐसे कहीं धंधा होगा? लेकिन नानक ने कहा " आपने ही कहा था कि कुछ लाभ करके आना। अब मैंने देखा कि अगर कंबल लाकर बेचूंगा, दस-पचास रुपए का लाभ होगा; लेकिन इन परमात्मा के प्यारों को अगर बांट दिया तो बड़ा लाभ होगा।"

फिर नौकरी पर लगा दिया। गांव के सूबेदार के घर नौकरी लगा दी । सीधा सादा काम दिलवा दिया। काम था कि जो सिपाहियों को रोज भोजन दिया जाता था, वह उनको तौलकर दे देना। तो वह दिनभर तौलते रहते तराजू लेकर। एक दिन तौलतेत्तौलते समाधि लग गई। रस तो भीतर परमात्मा में लगा था। तौलते रहते थे, बैठे रहते थे दुकान पर, काम करवा रहे थे पिता तो करते थे; लेकिन भीतर तो याद परमात्मा की चल रही थी। उसी याद के कारण यह बड़ी क्रांतिकारी घटना घट गयी। एक दिन तौलतेत्तौलते संख्या आयी--सात, आठ, नौ, दस, ग्यारह, बारह और तेरह--तो पंजाबी में "तेरह' तो नहीं है, "तेरा' है। तो "तेरा' शब्द उठते ही उसकी याद आ गयी। वह याद तो भीतर चल ही रही थी। उस याद से सूत्र जुड़ गया। "तेरा' यानी परमात्मा का। फिर तो मस्त हो गए, फिर तो मगन हो गए। फिर तो "तेरा' से आगे बढ़े ही नहीं। फिर तो तौलते ही गए। जो आया, उसको ही तौलते गए--"तेरा' और "तेरा'! खबर पहुंच गयी सूबेदार के पास कि इसका दिमाग खराब हो गया है। वे "तेरा' ही पर अटका है, और सभी को तौलता जा रहा है;जितना जिसको जो ले जा रहा है, ले जा रहा है! दुकान लुटवा देगा। पकड़कर बुलवाया गया। वह बड़े मस्त थे। उनकी आंखों में बड़ी ज्योति थी। पूछाः "यह तुम क्या कर रहे हो? उन्होंने कहा " आखिरी संख्या आ गयी, अब इसके आगे संख्या ही क्या? "तेरा' के आगे अब और जाने को जगह कहां है? बाकी तो मेरे का फैलाव है। "तेरे' की बात आ गयी, खत्म हो गया मेरे का फैलाव; अब मुझे क्षमा करो, मुझे जाने दो। आज जो मजा पाया है तेरा कह कर,अब उसको चूकना नहीं चाहता। अब तो चौबीस घंटे तेरा ही तेरा करूंगा। उसका ही सब है। वही है। आज "मेरा-मेरा'गया। आज तो तेरा ही हो गया।

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