Tuesday, October 23, 2018

चंदा का चकोर


रात काफ़ी गहरा गई थी. आसमान में चाँद की आभा धीरे-धीरे निखर रही थी. एक चकोर अपने घोंसले में ख़ामोशी के साथ बैठा हुआ था. उसकी नज़र आसमान से झांकते चाँद पर पड़ रही थी. लेकिन सामने वाली छत पर मौजूद पानी की टंकी चकोर को चाँद के दीदार करने से रोक रही थी. कई दिनों से बीमार चकोर के पूरे शरीर में भयानक पीड़ा हो रही थी. लेकिन उसके मन में चाँद को निहारने और छूने की चाहत उमड़ रही थी. चाँद धीरे-धीरे आसमान में ऊपर उठ रहा था. पानी की टंकी नीचे छूट रही थी. उधर चकोर की चाँद को पाने और उसके साथ एकाकार हो जाने की तमन्ना अपने चरम पर पहुंच रही थी.

समय बीतने के साथ धुंधला और पीला चाँद काफ़ी चमकीला हो रहा था. चकोर के लिए आज की रात ख़ास और बाकी रातों से अलग थी. चकोर चाँद की सुंदरता में खोता जा रहा था. आज चकोर का अपने दिलों की धडक़नों पर कोई ज़ोर नहीं था. उसके मन में चाँद के प्रति उमड़ती चाहतों के समंदर के अलावा कोई शोर नहीं था.

दिल में चाँद को पाने की हसरतों के साथ चकोर ने अंततः अपने घोसले से उड़ान भरी. उसके प्रेम के आगे उसका दर्द पराजित होकर रह गया था. चारो तरफ़ चांदनी रात का जादू बिखर रहा था. चकोर की आँखों में तो बस चाँद की ही मूरत छबि बसी हुई थी. उसके मन में चांद को पाने के सिवा कोई हसरत नहीं थी. लेकिन काफ़ी ऊंचाई तक पहुंचने के बाद भी चाँद, चकोर की पहुंच से बहुत दूर था.

चकोर उड़ते-उड़ते बहुत थक गया था. लेकिन वह सारी हिम्मत जुटाकर पहाड़ों की तरफ़ आगे बढ़ रहा था. अब चाँद और चमकीला हो चला था. चारो ओर चांदनी रात का जादू अपने सबाब पर था. लेकिन उसकी हिम्मत अब जबाब दे रही थी. पहाड़ों के इस तरफ़ वाली नदी को पार करते -करते वह बीच में ही लड़खड़ा कर गिरने लगा. उसे लगा कि चाँद को छूने अभिलाषा का उसके जीवन के साथ ही अब अंत हो जाएगा.

अचानक उसकी नजर नदी में उसी आभा से चमकते और पहले से भी ज्यादा जीवंत लग रहे चांद पर पड़ी. ख़ुशी और उमंग के भाव से उसकी आंखें बंद हो गईं थीं. लेकिन पानी में चांद की परछाई पर गिरने के बाद वह फूलों की हिफाजत के लिए बने कंटीली बाड़ में फंस गया. यहाँ उसके मन में एक तरफ चांद को छू लेने की खुशी थी तो दूसरी तरफ कांटों में बिंधे होने का असीम दर्द.

इसी तडप और खुशी के भाव के साथ चकोर की चाँद को पाने वाली उड़ान हमेशा के लिए ठहर गई थी. चांद की दूधिया रोशनी में नदी में खून के लाल कतरे तैर रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे चांद अपने चाहने वाले का यह अंजाम देखकर खून के आंसू रोया हो और इन आंसुओं से भीगा उसका चेहरा काला पड़ गया हो. चांद की तडफ़ और छटपटाहट से उसका चेहरा कांतिहीन हो गया था.

आज की रात बड़ी लंबी थी. आखिर किसी के परीक्षा की घड़ी जो थी. उस रात किसी प्रेमी की जिंदगी और मोहब्बत के बीच जंग का फैसला होना था. एक प्रेमी चकोर की जिंदगी चाँद की मोहब्बत में कुर्बान हो गई थी.  रात ढल चुकी थी. एक तरफ़ आसमान में सूरज की लालिमा झांक रही थी. दूसरी तरफ़ चकोर की मौत के ग़म में मुरझाया चांद अब भी आसमान से मौजूद था. नदी के किनारे पर लगे उन कटीले तारों से आज़ाद होने की कोशिश में उलझा चकोर मृत पड़ा था.

No comments:

Post a Comment