Monday, December 11, 2017

कामना का बीज

 हिरण्यकशिपु के वधके पश्चात् भगवान नृसिंह ने भकित-शिरोमणि प्रहलाद से वरदान माँगने का अनुरोध किया. प्रहलाद के अस्वीकार करने पर भी वे बार-बार माँगने का आग्रह करते ही रहे. किन्तु इस आग्रह से प्रहलाद उदास हो गए। यद्यपि भगवान प्रसन्नता प्रगट करते हुए उनसे माँगने का आग्रह कर रहे थे, किन्तु उन्हें भगवान की इस प्रसन्नता में अपने अभाव का अनुभव हो रहा था। उन्होंने सोचा, अवश्य कहीं न कहीं मेरे अन्तःकरण में कामना का बीज विद्यमान है. भले ही मैं उसे नहीं देख पा रहा हूँ ; किन्तु अन्तर्यामी प्रभु उसे जानकर उसकी पूर्ति का आग्रह कर रहे हैं। और तब उन्होंने प्रभु से यही प्रार्थना की कि आप प्रसन्न हैं तो मेरे अन्तर्मन में छिपी हुई कामना को सर्वथा विनष्ट कर दीजिए।

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